सांप्रत समय में रथयात्रा की सीखः

आज का दिन अषाढी बीज अर्थात् अषाढ शुक्ल का द्वितीय दिन है। इस पवित्र दिन रथयात्रा के नाम से ज़्यादा प्रचलित है क्योंकि आज कई जगह पर भगवान जगन्नाथ, उन के भाई बलराम और बहन सुभद्रा की मूर्तियों को तीन सुशोभित रथों में स्थापित कर के नगर की यात्रा के लिये निकाले जाते हैं और भाव विभोर हिंदु जनता जगह जगह पर रथयात्रा का अभिवादन करती हैं।

समस्त भारत में जगन्नाथपुरी, उड़ीसा की रथयात्रा अजोड है। वहाँ लाखों लोग रथयात्रा के दर्शन के लिये उमड़ पड़ते हैं। तीन रथों की ऊँचाई ४४ फ़ीट, लंबाई ३५ फ़ीट ओर चौड़ाई भी ३५ फ़ीट होती है- ये प्रति वर्ष ख़ास प्रकार की लकड़ी से नये बनाये जाते हैं और हर रथ का वजन २८० से ३०० टन ( २८०,००० से ३००,००० किलोग्राम) रहता है। आश्चर्य की वात यह है कि इतने भारी रथ कोई यांत्रिक शक्ति से नहीं चलते। हज़ारों भक्त उन्हें बड़ी भारी रस्सी खिंच कर चलाते हैं।

यह कैसे संभव है? इसका रहस्य एक ही है- यह हज़ारों लोग- जो एक दूजों को न तो पहचानते है, न तो जिन का सामर्थ्य या शक्ति समान है वो एक ही ध्येय से एक ही ह्रदय से रथों को एक ही दिशा में खींचे चलते हैं- यहाँ न कोई उच्च है न कोई नीच; न कोई निर्धन है न कोई धनवान। बस सब भक्त हैं और सब की एक ही अभिलाषा है कि रथों को गन्तव्य स्थल पर अपने सामूहिक बल से और सामूहिक प्रयास से पहुँचाये।

हम में से जो लोग भारत को आगे बढ़ता देखना चाहते है, भारत में सब का विकास हो, सब को सुविधाएँ प्राप्त हो, हमारी संस्कृति और धर्म की रक्षा हो और हमारी सीमाएँ सुरक्षित रहे ऐसा चाहते हैं, जिन्हें प्रधान मंत्री नरेन्द्रभाई मोदी पर भरोसा है उन्हें यह रथयात्रा से क्या सीखना है?

आज से ले कर जब तक २०२४ का राष्ट्रीय चुनाव संपन्न न हो तब तक हम एक ही लक्ष्य पर हमारा ध्यान केंद्रित करेंगे- भाजपा और एन. डी. ए. को २०१९ से भी अधिकतर बहुमत से जीताना और राष्ट्रद्रोही और लघुमति परस्त कॉंग्रेस कल्चर को क़ायम के लिये हिंद महासागर में डूबो देना यह हमारा लक्ष्य है। रथों को खींचनेवाले हम है- हमारी शक्ति, संकल्प, तन-मन-धन सामूहिक होंगे- न कोई उच्च न कोई नीच; न कोई निर्धन, न कोई धनवान, न कोई बुध्धिमान न कोई सामान्य। अगर संकल्प शक्ति से लोग ३०० टन का रथ खींच सकते हैं तो हमारे लिये क्या असंभव है?

सं गच्छध्वं सं वदध्वं, सं वो मनांसि जानताम् ।

देवा भागं यथा पूर्वे संजानाना उपासते ।।

ऋग्वेद १०ः१८१ः२

(हम को मिलकर चलना चाहिए। मिलकर बोलना चाहिए। हमारे मन एक प्रकार के विचार करें, जैसे प्राचीन देवो या विद्वानों ने एकमत होकर अपने – अपने भाग को स्वीकार किया, इसी प्रकार हम भी एकमत होकर अपना भाग (कर्त्तव्य) स्वीकार करें ।)

समानी व आकूति: समाना ह्रदयानि व:।
समानमस्तु वो मनो यथा व: सुसहासति॥

ऋग्वेद ८ः४९ः४

(एक हमारा उद्देश्य हो, सुसंगत हमारी भावना हो। एकत्रित हमारे विचार हो, जैसे सब कुछ इस विश्व में एकता में है ॥)

आओ, छोटे मोटे भेदभावों को छोड़ो, व्यर्थ चर्चा और वाणी विलास में समय व्यतीत न करो और यह २०२४ के रथ को गंतव्य स्थान पर पहुँचाने के राष्ट्रयज्ञ में जूट जाओ।

अगर आप भारतमें हैं तो “Sampurna Bharatiya Bahumat” वोटसेप गृप के सदस्य बन सकते हो; अगर आप भारत के बहार हैं तो आप “NRIM2024” (Non-Resident Indians for Mission 2024) वोटसेप गृप के सदस्य बन सकते हो। आपका पुरा नाम, शहर, राज्य, देश, ईमेल और वोटसेप नंबर मुझे +1-732-754-1727 पर भेजने पर आप को यथोचित गृप में सम्मिलित किया जायेगा।

अगर आप चाहें तो यह पोस्ट आप के मित्रों और संबंधियों को फोरवर्ड कर सकते हैं।

धन्यवाद,

जून २०, २०२३

Posted on June 20, 2023, in 2024 Election-Bharat, Narendra Modi, NRI, Politics-Bharat and tagged , , , , , . Bookmark the permalink. 4 Comments.

  1. कृष्ण दत्त शर्मा

    पूजनीय,
    प्रणाम।
    क्षमा याचना सहित एक सामान्य सी त्रुटि की ओर ध्यान आकर्षण का निवेदन है। ३० टन के ३००००० किलो होंगे, ६००००० नहीं।

    • Krishna Datt Ji: Thank you for pointing out the error. Since I live in USA I am used to pounds and one ton = 2000 lbs., that stayed in my mind. I have made the correction.

  2. कृष्ण दत्त शर्मा

    कृपया ३० टन के स्थान पर ३०० टन पढ़ें।

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